हक के लिए थी इमाम हुसैन की शहादत: आलिमा रुखसाना

भिलाई

मोहर्रम के इस मुकद्दस महीने में कर्बला के शहीदों की याद के साथ अंजुमन हुसैनिया की ओर से खुसीर्पार में तकरीर व कुरआन ख्वानी का सिलसिला जारी है। इसके साथ ही अंजुमन की ओर से इस्तकबालिया प्रोग्राम भी हो रहे हैं। अंजुमन हुसैनिया कमेटी की ओर से इमामबाड़ा जोन 1 सड़क 20, खुसीर्पार भिलाई में रोजाना आयोजन हो रहे हैं। इसी कड़ी में 24 जुलाई को अंजुमन ने स्कूली पढ़ाई में बेहतर परिणाम लाने वाली बेटियों और हज्जे बैतुल्लाह से लौटे हाजियों का इस्तकबाल किया। इसके अलावा समाज में औरतों की बेहतरी के लिए काम कर रही अंजुमन (संस्था) का भी सम्मान किया गया।

इस दौरान दोपहर में अपनी तकरीर में आलिमा रुखसाना बानो ने कर्बला में इमाम आली मकाम इमाम हुसैन की शहादत की जिक्र किया  और बताया कि इमाम हुसैन की शहादत हक के लिए थी और  इमाम हुसैन कर्बला में जंग के लिए नहीं गए थे  बल्कि उनको बुलाया गया था।
वह अपने साथ कर्बला बच्चों औरतों और के साथ गए थे। एक तरफ 72 हुसैनी थे और दूसरी तरफ 20000 की यजीदी फौज थी।  आप सोच सकते हैं क्या यह जंग एकतरफा नहीं थी जहां छोटे बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक को कत्ल किया गया। छोटे-छोटे बच्चों को पाने के लिए तरसाया गया। पानी के बदले तीर उनके गले पर  मारा गया।  इसके बावजूद बातिल हार गया और इमाम हुसैन का सब्र  जीत गया।  आज  यजीद का कोई नाम लेवा नहीं है जबकि हुसैन का नाम की चर्चा घर-घर में हो रही है। वहीं रात में नमाज-ए-ईशा के बाद मुफ़्ती मुकर्रिरे खुसूसी हजरत अल्लामा मौलाना मुफ्ती कलीमुल्लाह खान रिजवी इलाहाबाद प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) की  तकरीर हुई।